बचपन की होती है हर बात निराली, हर रोज ही होली है हर रात दिवाली। बचपन की होती है हर बात निराली, हर रोज ही होली है हर रात दिवाली।
तू सपनों की हर एक उड़ानों में होती तू ही वेद, गीता, कुरानों में होती। तुझे स्वर में तू सपनों की हर एक उड़ानों में होती तू ही वेद, गीता, कुरानों में होती। तुझे...
क्या इसलिए , इतना आकर्षित करते हो ? क्या इसलिए , इतना आकर्षित करते हो ?
बस ऐसा वो हमको उम्र भर का सबक दे गए। बस ऐसा वो हमको उम्र भर का सबक दे गए।
भौंरे आखिर क्यों रहें, फिर बसंत से दूर। भौंरे आखिर क्यों रहें, फिर बसंत से दूर।
सारी गलतफहमियां हो जाएंगी दूर, मुझे खुद को खोने पर ना करो मजबूर। सारी गलतफहमियां हो जाएंगी दूर, मुझे खुद को खोने पर ना करो मजबूर।